Description
‘समवाय’ में तीन विधाओं में निबद्ध लेखन एक घाट पर उपस्थित है – ललित निबंध-कहानी-कविता । इसमें पहली बार लिखा ललित निबंध है । कहानी मानव-अस्तित्व का सहज उत्पाद है । जिंदगी अनेक मोड़ों से गुजरती है और अपने आप कहानियाँ बनती जाती हैं । लाखों कहानियाँ बनती हैं, लेकिन सब लिखी नहीं जातीं । आपके सामने कुछ कहानियाँ रखते हुए आल्हाद अनुभव कर रहा हूँ । पाठक परखेंगे कि इनमें जीवन का सत्य और संगीत कितना है । इसके अलावा अकवि होने के बावजूद इसमें मेरे कुछ काव्यरूप हैं । इस तरह ‘समवाय’ एक प्रयोग भी है ।
न आइना दिखाने के लिए लिखा, न कुछ बदलने के लिए । चूँकि सृजनात्मक लेखन में मन की गतियों को पकड़ने का अवकाश है, अतः जीवन, आत्मद्वन्द्व तथा समय को समझने की चेष्टा के लिए लिखा ।
‘समवाय’ में ललित निबंध के अलावा आठ कहानियाँ, दो संस्मरण, पाँच समसामयिक लेख, पाँच पुस्तक-चर्चाएँ एवं कुछ कविताएँ सम्मिलित हैं । दरअसल यह जीवन-यात्रा की भावानुभूतियों को सामने रखने की कोशिश है । इसे लिखने और संयोजन के दौरान मशहूर शायर निदा फाज़ली की यह बात बराबर मेरा पीछा करती रही : ‘हर घड़ी खुद से उलझना है मुकद्दर मेरा, मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा’ । नामसिद्ध लेखक न होने के बावजूद आशा है कि पाठक-समाज में इस पुस्तक का स्वागत होगा ।
5 अगस्त 2023 – डॉ. राकेश शुक्ल
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