Description
“नारी के नौ रूप”अर्थात् नारी के विभिन्न रूप हैं मग़र नारी का अंतिम रूप “माँ” है | जिस रूप में आकर नारी पूर्णता को प्राप्त करती है और इसके लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वह किसी बच्चे को अपने ही गर्भ से जन्म दे | नारी के अंदर नारीत्व भी है और मातृत्व भी है जो समय आने पर स्वतः प्रकट हो जाता है |इन्हीं भावनाओं को मैंने अपनी इस कृति “मातृत्व “में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जिसे प्रिंसेप्स पब्लिकेशन ने सजाया संवारा और एक किताब के रूप में उपलब्ध कराने का प्रयास किया है जिसके लिए मैं प्रिंसेप्स पब्लिकेशन एवं उनकी टीम का सहृदय धन्यवाद करती हूँ एवं आभार व्यक्त करती हूँ |
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