Description
कवयित्री डॉ रश्मि प्रियदर्शनी गया शहर के प्रसिद्ध गौतम बुद्ध महिला कॉलेज, गया में अंग्रेजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, जिन्हें हिन्दी साहित्य में भी स्वर्ण पदक अर्जित करने का गौरव प्राप्त है। हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं पर उनकी मजबूत पकड़ है। वह बचपन से ही भावपूर्ण कविताएँ, कहानियाँ और वैचारिक आलेख लिखती आ रही हैं। उनकी रचनाएँ देश के विभिन्न प्रतिष्ठित समाचारपत्रों, पत्रिकाओं एवं साझा काव्य-संकलनों में प्रकाशित होती रहती हैं। डॉ प्रियदर्शनी का संगीत से भी अटूट रिश्ता रहा है। उनकी कविताओं में सरसता, सरलता, सहजता, गेयता तथा लयात्मकता होती है, जिनमें हृदयस्पर्शी भावनाओं और उदात्त विचारों का अनोखा मिलन देखा जा सकता है।
‘कविता बसंत बन जाती है’ उनका प्रथम हिन्दी काव्य-संग्रह है, जिसमें मूलतः उनकी वे रचनाएँ संकलित हैं, जो उनके हृदय के अत्यंत निकट हैं तथा सुर एवं ताल के साथ गायी-बजायी जा सकती हैं। उनके अनुसार, “हृदय में हिलोरें लेतीं कवि की आहत भावनाएँ कविता का रूप धारण कर आशाओं के नये फूल खिलाती हैं। निःसंदेह, नैराश्य के पतझड़ में कविता बसंत बन जाती है। एक सच्चे मित्र की भाँति कविता खुशियों को दूना एवं ग़मों को आधा करके जीने के लिए अपूर्व संबल प्रदान करती है। ‘कविता बसंत बन जाती है’ सिर्फ एक शीर्षक नहीं है, अपितु यह एक ऐसी सुखद सच्चाई है, जिसे हर कवि-हृदय सहजता से महसूस कर सकता है।”
Reviews
There are no reviews yet.