Description
यदि आप कविता से सच्चा प्रेम करते हैं…कुछ ऐसा पढ़ना चाहते हैं जो स्टीरियोटाइप न होकर नया हो…कुछ ऐसा जिससे नई जीवन दृष्टि मिले… सच को सच और झूठ को झूठ कहने का साहस हासिल हो… अर्थ के उथलेपन की बजाय मर्म को आप हृदय की गहराइयों से महसूस कर सके तो आपको कवि भास्कर मिश्र “पारस” के काव्य संग्रह “फिर क्यों प्यार…” को जरूर पढ़ना चाहिए। 47 कविताओं को खुद में समेटे यह काव्य संग्रह महज एक किताब न होकर एक ऐसा पुल है जिससे गुजरकर आप एक अलग अनुभव को जीएंगे। आप महसूस कर पाएंगे कि ये कविताएं तो आपकी अपनी है। इसमें लिखा एक-एक शब्द आपके भीतर से उपजा है। बस आप कह नहीं सके और इस किताब में अंकित है। किताब ना केवल शब्दों की जादुगरी से भरा है बल्कि इसमें समाज में हो रहे बदलाव पर तंज और व्यवस्था पर चोट भी है।
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