Description
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल हरफनमौला साहित्यकार-साहित्य वाचस्पति डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित कृति- ‘देवी या दासी?’ में एक से बढ़कर एक कुल 101 रचनाएँ शामिल हैं, जो विविध रंग बिखेरते हैं। पाठकगण इन रचनाओं को पढ़कर भावविभोर हुए बिना नहीं रह सकेंगे।
दरअसल अहसास ही जिन्दगी है। ‘देवी या दासी?’ इन्हीं अहसासों का प्रतिबिम्ब है। डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति की कलम की तहरीर में मूक-नायिका और स्वतंत्रता की देवी से लेकर खामोश रिश्ते और वेदनाओं की सरहद तक सब कुछ है। साथ ही साथ प्रेम और अनगिनत यादें भी है। इस अर्थ में यह अनूठा काव्य-संग्रह है कि ये पाठक से ही सवाल करता है कि वे नारी को क्या मानेंगे- “देवी या दासी?
इस संग्रह के छटपटाते हुए पन्नों को जरूर पढ़कर देखिए। कल्पना के आकाश में उम्मीद के पंछी एक नई प्रेरणा से अनुप्राणित होकर संग-संग जरूर उड़ने लगेगा।
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