Description
जिन्दगी बहुत खुबसूरत है, मगर शायद तब तक जब तक मा शारदा देवी और मा मायादेवी के आचल के नीचे रही। मा के बाद खट्टे मिठठे रिश्तो के रिश्ते कभी सुनी पाखंडी की तरह जिन्दगी की राहो को सुनसान कर देते है। और कभी खुले आसमान मे इन्द्र धनुष की तरह जिन्दगी में रग भर देते है। चन्द सोने-चांदी के सिक्को की खातिर खून के रिश्तो को पानी पानी करने वाले यह क्यु भुल जाते है कि आगे उनके भी रिश्ते होगे। जब जिंदगी में ऐसा वक्त आये तो नीर धबराना नही, अपने अशको और मुस्कान को साथ मिला कर, दिल की कलम से लिख देना कुछ अल्फाज ऐसे, धोखा देने वाले खुन के रिश्ते हो या अशको से जुडे कुछ रूहानी किस्से को देख कर शर्म से पानी पानी हो जाये। और मा के बाद आपसे कोई प्यार कर सकता है तो वो है कान्हा जो दिल की कलम से लिखे खुद के अल्फाज। आज दोनो मा नही है जमीन पर मेरे साथ, मगर फलक पर जाकर भी छोडा नही उन्होने एहसासो से मेरा साथ, मेरी रूह के साथ आज भी जुडे है कुछ रिश्ते मेरी बेटी चांदनी , निर्मल पाहुजा, पुजा_ मेरा भाई _सब जेठ _जेठानिया इन सबको मेरी रुह से प्यार, इन सबके दम से है मेरा खुशहाल परिवार अपने पति राजिंदर_ और पापा हीरा लाल _अपने बेटे सागर सुधीर सम्मत _पारस मनी को प्यार, मेरे समधि सुधीर सम्मत जैसा कोई हो नही सकता इस दुनिया के नेक इन्सान जो मेरे साथ जुडे है उनको मेरी रूह से 100___ 100 बार हरे कृष्णा हरे रामा रामा रामा हरे हरे के साथ प्रनाम।
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