Us Paar Kshitij Ke Jana Hai

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Description

काव्य-संग्रह ‘कविता बसंत बन जाती है’ (२०२२), ‘नये गीत हम गायेंगे'(२०२२) एवं ‘नव्य मुक्तक माला’ (२०२२) के उपरांत प्रकाशित होने वाले डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी के चतुर्थ काव्य-संग्रह ‘उस पार क्षितिज के जाना है’ (२०२३) में संकलित अधिकतर कविताएँ मनुष्य को नव आशा तथा नूतन स्वप्नों के साथ अपने लक्ष्य की ओर अनवरत रूप से अग्रसर रहने की प्रेरणा देती हैं। क्षितिज के उस पार जाने की इच्छा स्वतंत्र रूप से मनोवांछित सफलता पाने एवं अज्ञात सत्य को जानने की उत्कट ललक का भी प्रतीक है। पाठक इस काव्य-संग्रह में सफलता, असफलता, मिलन, विरह, सुख तथा दुःख की घड़ियों में मानव हृदय में उठने वाली भावनाओं का सुंदर काव्यांकन पा सकेंगे।

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