Description
हेमेंद्र स्वामी ‘आनंद’ ने इंसानी रिश्तों की अहमियत को शिद्दत से महसूस किया है। उन्हें माँ के रुतबे से लेकर बुजुगों के बिखरे दुःख दर्द का भी अहसास है जो उनकी रचनाओं में उभर कर आया है। इसकी खास वजह ये है कि उनकी जड़ें एक छोटे से कस्बे-राजपुर में सांस लेती हैं जहां आज भी परंपराओं का सिलसिला जारी है। दिलचस्प पहलू ये है कि हेमेंद्र स्वामी ने पढ़ाई – लिखाई तो साइन्स में की है, लेकिन उनकी रचनात्मक ऊर्जा उन्हें साहित्य में भी खींच लाई है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जीवन के सभी रंगों को बेहतर तरीके से कलमबंद किया है। दम तोड़ती इंसानी कद्रों पर भी उनकी पैनी नजर है जो उनकी तखलीक में उभर कर सामने आई है। मेरी नजर में हेमेंद्र स्वामी ‘आनंद’ की ‘सजल- ग़ज़ल’ कल्पना और यथार्थ का एक बेहतरीन संगम है।
-अखिल राज “इंदौरी,”, इंदौर मध्यप्रदेश
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