Description
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल तथा दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में विश्व रिकॉर्ड में दर्ज साहित्य वाचस्पति- डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा रचित 43 वाँ काव्य संग्रह- “पारसमणि” कुल 91 कविताओं का संग्रह है। इसमें शामिल कविताएँ रोजमर्रा के जीवन से सम्बन्धित हैं, जिससे व्यक्ति को हर रोज दो-दो हाथ करने पड़ते हैं। संग्रह में एक ओर जहॉं कुछ कविताएँ हास्य और व्यंग्य के माध्यम से जनमानस को गहरा सन्देश देती हैं तो दूसरी ओर नई प्रेरणा से अनुप्राणित भी करती हैं।
‘पारसमणि’ परिश्रम का ही दूसरा नाम है। आज तक दुनिया में परिश्रम का कोई विकल्प तलाशा नहीं जा सका है। लगन के साथ मेहनत करने से ही व्यक्ति अपनी अमिट छाप छोड़ने में सफल हो सकता है। संग्रह की सम्पूर्ण रचनाएँ इसी धुरी पर व्यवस्था का चक्कर लगाती हुई प्रतीत होती हैं।
‘पारसमणि’ में भावों के साथ शब्दों का भी सुन्दर समन्वय है। सरल एवं सुबोध शैली में लिखी गई यह कृति मनुष्य को सचेत होने का आह्वान करती है।
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