Navya Muktak Mala

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Description

काव्य-संग्रह ‘कविता बसंत बन जाती है’ (२०२२) तथा ‘नये गीत हम गायेंगे'(२०२२) के उपरांत प्रकाशित मेरा तृतीय काव्य-संग्रह ‘नव्य मुक्तक माला’ (२०२२) एक मुक्तक-संग्रह है। कुल एक सौ पैंतीस मुक्तकों से सुसज्जित यह पुस्तक दो भागों में विभाजित है। इसके प्रथम भाग ‘अमर रहती सदा कविता’ में एक सौ मुक्तक हैं, जो सुर, लय एवं तान के साथ गाये जा सकते हैं। पाठकों को इनमें सरसता, सरलता, सहजता, गेयता तथा लयात्मकता से युक्त मुक्तक मिलेंगे, जिनमें हृदयस्पर्शी भावनाओं और उदात्त विचारों का मिलन भी देखा-परखा जा सकता है। विषय चयन तथा लेखन शैली में ये मुक्तक एक दूसरे से पूर्णतया स्वतंत्र हैं। ‘नव्य मुक्तक माला’ के दूसरे भाग ‘क़द्रदान हैं लोग चार पंक्तियों के’ में पैंतीस मुक्तक हैं, जिनमें छंदबद्धता और प्रवाहशीलता तो है, परंतु प्रथम भाग में संकलित मुक्तकों की तरह उनमें गेयता का अभाव है, जो थोड़े शायराना अंदाज़ में पढ़े जायें, तो अति रुचिप्रद तथा प्रभावी लगेंगे। ये मुक्तक किसी पूर्व निर्धारित योजना के तहत नहीं लिखे गये हैं, अपितु, विभिन्न परिस्थितियों में तथा विशिष्ट अवसरों पर स्वतः प्रस्फुटित हुए हैं। ये मुक्तक मूलतः विचार-प्रधान हैं, जो साहित्य में रुचि रखने वाले सुधी पाठकों को अवश्य पसंद आयेंगे।

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