Description
‘ममता की मूर्ति’ का दर्शन और सानिध्य भाग्य वाले को ही प्राप्त होता है। इसका लुप्त आप भी उठा सकते हैं। ‘क्या बुढ़ापे में हाथ छोटा हो जाता है? ‘इसका जवाब भी ममता की मूर्ति में है। ‘रोगी को आशा और विश्वास का अमृत पिलाते रहना चाहिए चाहे वह अमृत सफेद झूठ ही क्यों ना हो। ‘इसका एहसास पाठक को ‘धन्यवाद’ में होना चाहिए। ‘कागज का जहाज’ बेरोजगार युवक के जीवन का दर्द है ।’ डोली में सिंदूरदान ‘जी हां, ऐसा ही देखने को मिलेगा आपको और इसकी वजह एक नैतिकवान अविवाहित युवक के दृढ़ संकल्प से उदित हुआ है। ‘तबादला’ में एक ईमानदार दारोगा बनाम बुद्ध दारोगा हैं। कोई अपनी पुत्र का नाम रावण क्यों नहीं रखता? ‘इसका जवाब ‘राम की सीता’ में मिलेगा। ‘लाठी सिंह’ में लाठी सिंह का चरित्र भी आपको रोमांचित करेगा। जमीन से जुड़ी सच्चाई का बोध कराएगी यह पुस्तक ।
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