Humzameen Kavya Sankalan

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Description

हमज़मीं काव्य रश्मि ”

विभिन्न नदियों का जल प्रवाहित होकर सागर में समाहित तो हो जाता है, लेकिन ऊँची-ऊँची लहरों के रूप में सदा हिलोरें मारता रहता है। वैसे ही प्रत्येक मानव मन में सुख-दुःख के भाव प्रवाहित होकर ऊँची-ऊँची लहरें उठाते रहते हैं। यही भाव लेखनी के माध्यम से कागज पर उतर कर साहित्य की विभिन्न विधाओं को जन्म देते हैं

म.प्र. के पश्चिम निमाड़ अंचल के छोटे से नगर राजपुर की चालीस वर्षों पुरानी छोटी सी साहित्यिक संस्था ‘हमज़मीं’ के रचनाकारों ने जैसा भी लिखा, उसी की झलक देने का प्रयास है। संकलन में काव्य के विभिन्न रूप रस – छंद, अलंकार, कला-भाव पक्ष आदि को कितना छुआ है, अपनी पारखी दृष्टि से अवश्य अवगत कराइएगा। इति शुभम् ।

साहित्यिक संस्था-” हमज़मीं “, राजपुर

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