Description
हमारा पहला काव्य संग्रह था, पुष्प और तलवार, दूसरा था, राही नीर गिराना मत, तीसरा था, सब टूटेगा सब बिखरेगा और अब यह चौथा काव्य संग्रह है, सुना दो राग भैरव का। भैरव, भगवान शिव के रोषावतार हैं। कविता मनुष्य की आत्मा का संगीत है, आत्मा का नाद है। आत्मा ही परमात्मा है। अतः कविता ईश्वर का संदेश है।
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